जन्म: 4 जुलाई, 1898, पेशावर (आधुनिक पाकिस्तान)
मृत्यु: 15 जनवरी, 1998, अहमदाबाद, गुजरात
कार्य क्षेत्र: भारत के पूर्व कार्यवाहक प्रधानमंत्री
गुलज़ारीलाल नन्दा एक भारतीय राजनेता और शिक्षाविद थे जिन्हें श्रमिक मुद्दों की गहरी पकड़ थी। अपनी साफ़-सुधरी छवि और कांग्रेस पार्टी के प्रति सदैव समर्पित गुलज़ारी लाल नंदा दो बार भारत के कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाये गए – पहली बार जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद 1964 में उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया जबकि दूसरी बार वे कार्यवाहक प्रधानमंत्री तब बने जब सन 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गयी थी। गुलज़ारी लाल नंदा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। सादा जीवन उच्च विचार उनके जीवन का सिद्धांत था। राजनीति के अलावा उन्होंने शिक्षा और मजद्दोर संगठन के क्षेत्र में भी कार्य किया। राजनीति में आने से पहले उन्होंने मुंबई के नेशनल कॉलेज में शिक्षण कार्य किया और सन 1922 से 1946 तक वे अहमदाबाद की टेक्सटाइल्स उद्योग में श्रमिक एसोसिएशन के सचिव भी रहे। वह श्रमिकों की समस्याओं को लेकर हमेशा जागरुक और तत्पर रहे और उन समस्याओं के निदान का प्रयास भी करते रहे।
प्रारंभिक जीवन
गुलज़ारी लाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को सियालकोट (अब पश्चिमी पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता बुलाकी राम नंदा तथा माता श्रीमती ईश्वर देवी नंदा थीं। प्राथमिक शिक्षा सियालकोट में ग्रहण करने के बाद नंदा ने लाहौर के ‘फ़ोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज’ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। उन्होंने आगरा और अमृतसर में भी अध्ययन किया। उन्होंने कला वर्ग में स्नातकोत्तर किया और क़ानून की स्नातक (एल.एल.बी) उपाधि प्राप्त की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उन्होंने ‘श्रमिक समस्याओं’ पर शोध किया और सन 1921 में बॉम्बे के नेशनल कॉलेज में अर्थशाष्त्र का प्रोफेसर नियुक्त हो गए। इनका विवाह सन 1916 में लक्ष्मी देवी के साथ करा दिया गया। सन 1921 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया और सन 1922 में अहमदाबाद टेक्सटाइल मजदूर संघ का सचिव चुने गए – इस पद पर वे सन 1946 तक कार्य करते रहे।
राजनैतिक व सार्वजनिक जीवन
गुलज़ारी लाल नंदा ने सन 1921 में असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। इसके बाद सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के लिए उन्हें सन 1932 में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। सन 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया और सन 1944 तक जेल में रखा गया।
सन 1937 में उन्हें बॉम्बे विधान सभा के लिए चुना गया – उन्होंने 1937 और 1939 के मध्य बॉम्बे सरकार में संसदीय सचिव (श्रम और उत्पाद शुल्क) का कार्य निभाया। बॉम्बे सरकार में श्रम मंत्री के तौर पर उन्होंने ‘श्रमिक विवाद विधेयक’ को सफलता पूर्वक पास कराया। वे ‘हिंदुस्तान मजदूर सेवक संघ’ का सचिव और ‘बॉम्बे हाउसिंग बोर्ड’ का अध्यक्ष भी रहे।
वे राष्ट्रिय योजना समिति के सदस्य भी रहे। ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस’ के गठन में उनकी प्रमुख भूमिका रही और बाद में वे इसके अध्यक्ष भी बने।
सन 1947 में नंदा को सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर स्विट्ज़रलैंड में ‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए भेजा गया। इसी दौरान उन्होंने श्रमिक और आवासीय व्यवस्था के अध्ययन के लिए स्वीडन, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम और यूनाइटेड किंगडम का दौरा किया।
सन 1950 में नंदा को योजना आयोग का उपाध्यक्ष चुना गया और सन 1951 में उन्हें केंद्र सरकार में योजना मंत्री का पद दिया गया। उन्हें सिचाई और उर्जा विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी। सन 1952 में वे बॉम्बे से लोक सभा के लिए चुने गए और केंद्र में पुनः योजना, सिंचाई और उर्जा मंत्री बनाये गए।
सन १९५७ के लोक सभा चुनाव में एक बार फिर नंदा विजयी हुए और पुनः केन्द्रीय श्रम, रोज़गार और योजना मंत्री का कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया।
सन 1962 के लोक सभा चुनाव में वे साबरकांठा से चुने गए और सन 1962-63 में ‘श्रम और रोज़गार’ और सन 1963 से 1966 तक केन्द्रीय गृह मंत्री रहे।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर
गुलजारी लाल नंदा ने दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री की भूमिका निभाई – दोनों बार 13 दिनों के लिए! पहली बार उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के बाद सन 19 64 में बनाया गया और दूसरी बार वे लाल बहादुर शाष्त्री के निधन के बाद सन 1966 में कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गए।
टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)
1898: 4 जुलाई को गुलजारीलाल नंदा का जन्म हुआ
1921: नेशनल कॉलेज बॉम्बे में अर्थशाष्त्र के प्रोफेसर नियुक्त
1921: असहयोग आन्दोलन में भाग लिया
1922: अहमदाबाद टेक्सटाइल मजदूर संघ का सचिव चुने गए
1932: सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने के लिए सरकार ने गिरफ्तार किया
1937: बॉम्बे विधान सभा के लिए चुने गए
1937: श्रम और उत्पादन शुल्क के संसदीय सचिव चुने गए
1942: भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान गिरफ्तार किये गए
1944: स्वाधीनता आन्दोलन में लिप्त होने के वजह से सरकार ने फिर गिरफ्तार किया
1946: बॉम्बे सरकार में श्रम मंत्री नियुक्त
1947: स्विट्ज़रलैंड में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक सम्मलेन में सिरकत की
1950: योजना आयोग के उपाध्यक्ष चुने गए
1951: भारत सरकार में योजना मंत्री बनाये गए
1952: भारत सरकार में योजना, सिंचाई और उर्जा मंत्री बनाये गए
1955: योजना परामर्शदात्री समिति की अध्यक्षता के लिए सिंगापोर गए
1957: भारत सरकार में श्रम, रोज़गार और योजना मंत्री बने
1959: जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक सम्मलेन की अध्यक्षता की
1962: गुजरता के साबरकांठा से लोक सभा चुनाव में विजय
1962: केंद्र में श्रम और रोज़गार मंत्री बने
1963: केंद्र सरकार में गृह मंत्री बनाये गए
1964: जवारलाल नेहरु के मृत्यु के बाद कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाये गए
1966: लाल बहादुर शाष्त्री के मृत्यु के बाद दूसरी बार भारत के कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाये गए
1997: देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया
1998: 15 जुलाई को अंतिम सांसे लीं