जन्मः 17 जनवरी 1917 में नवलपिट्टिया, कैंडी सेलन में (वर्तमान में यह स्थान श्रीलंका की सीमा में आता है)
मृत्युः 24 दिसंबर 1987
कॅरिअरः अभिनेता, फिल्म निर्माता, राजनेता
मरुथुर गोपालन रामचंद्रन एमजी रामचंद्रन के नाम से अधिक विख्यात हैं। उनके चाहने वाले लोग उन्हें एमजीआर के नाम से याद करते हैं। वह एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता और राजनेता थे। अभिनय और राजनीति एमजीआर के जीवन का प्रमुख हिस्सा रही। वह युवा अवस्था में नाट्य समूहों के साथ नाटक नाटकों के मंचन में व्यस्त रहे। अपनी जवानी के दिनों में ही वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। अपने सिद्धांतों और इंदिरा गाँधी से प्रभावित होकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था| तमिल सिनेमा में 30 साल से अधिक समय तक राज करने वाले एमजी रामचंद्रन ने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया| उन्होंने बाद में डीएमके पार्टी से हाथ मिला लिया। एम जी रामचंद्रन के पास राजनीति में सफल होने का बहुत अच्छा मौका था, क्योंकि वह तमिल फिल्म अभिनेता के तौर पर सुप्रसिद्ध हो चुके थे। आगे चलकर एमजीआर ने अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी की स्थापना की, जिसे एडीएमके नाम दिया गया। इसके बाद उन्होंने तमिलनाडू का मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचा। एमजी रामचंद्रन भारत की ऐसी पहली फिल्मी हस्ती हैं जो किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने। एमजी रामचंद्रन को लोग बहुत चाहते थे, क्योंकि वह एक सह्रदय इंसान थे। वह अपने परोपकार के कार्यों और जरूरतमंद व गरीबों के प्रति अपने प्रेम के लिए सभी जगह पहचाने गए।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और शुरुआती जीवनः मरुथुर गोपालन रामचंद्रन का जन्म एक केरलाई परिवार में हुआ था। उनके पिता मेलाक्कथ गोपाला मेनन और माता मरुथुर सत्यभामा केरल के पलक्कड़ प्रांत में बड़ावन्नूर के रहने वाले थे लेकिन एमजी रामचंद्रन के पिता को केरल का अपना मूलघर उन पर लगे कई आरोपों के चलते छोड़ना पड़ा। वह सेलन आ गए और अपना परिवार शुरू किया। इसी स्थान पर एमजी रामचंद्रन का जन्म हुआ। एक रिपोर्ट में किए गए दावे के अनुसार एक स्थानीय ब्राह्मण विधवा महिला से संबंध होने के कारण मेलाक्कथ गोपाला मेनन को केरल से निष्कासित किया गया था। केरल की सामाजिक परंपरा के अनुसार साथी पुरुष को समर्थविचारम करना पड़ता था, जिसका पालन करते हुए उन्हें केरल छोड़कर सेलन जाना पड़ा तथा उनके परिवार ने भी उनका अपमान किया। सेलन में मेलाक्कथ गोपाला मेनन ने मरुथुर सत्यभामा से विवाह कर लिया। यहीं पर एम जी रामचंद्रन का जन्म 17 जनवरी 1917 को हुआ। सेलन वर्तमान में श्रीलंका में है| बचपन से ही एम जी रामचंद्रन एक कट्टर हिंदू थे और भगवान मुरुगन की आराधना में उनका दृढ़ विश्वास था। भगवान मुरुगन तमिल हिंदू समाज के सबसे पूज्यनीय देवता हैं।
तमिल फिल्मों में कॅरिअरः
अपनी जवानी के दिनों से एम जी रामचंद्रन अभियन से जुड़ गए। अभी एमजीआर जवान ही हुए थे कि उनके पिता का निधन हो गया। पैसे कमाना प्राथमिकता थी, जिसके चलते एमजीआर ने अपना नाम नाटक कंपनी ऑरिजनल ब्वायज में दर्ज करा दिया। उनका भाई भी इस नाटक समूह का सदस्य था। नाटकों में कुछ सालों तक काम करने के बाद एमजीआर इसे छोड़कर वर्ष 1935 में तमिल फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ गए। कॉलीवुड में बतौर अभिनेता उनकी पहली फिल्म 1936 में आई। ‘‘ साथी लीलावथी‘‘ नामक इस फिल्म में उन्होंने सहायक भूमिका निभाई। इस एकमात्र फिल्म के बाद उन्हें 1940 के दशक में फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने का प्रस्ताव मिला। एमजीआर को तमिल फिल्म उद्योग में एक कॉमर्शियल रोमेंटिक और एक्शन हीरो के तौर पर स्थापित करने वाली फिल्म एम करुणानिधि द्वारा लिखित ‘‘ राजकुमारी‘‘ थी। 1947 में सिनेमाघर में इस फिल्म का प्रदर्शन हुआ और इसके बाद एमजीआर ने तीन दशक तक तमिल फिल्म उद्योग पर राज किया। वर्ष 1956 में एमजीआर ने फिल्म निर्माण और निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा। उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘‘ नाबूदी मन्नान‘‘ थी, जो बहुत बड़ी हिट फिल्म साबित हुई और इसे देखने के लिए तमिलनाडू के सिनेमाघरों में दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी। बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म सफल होने के बाद उन्होंने ‘‘ उलागम सूत्रम वलिबान‘‘ और मधुरई मीठा सुंधरापंदियन‘‘ नाम की दो अन्य फिल्में बनाईं, जिसमें उन्होंने निर्देशक और अभिनेता की भूमिका निभाई। 1971 में आई ‘‘ रिक्शाकरण‘‘ नाम की फिल्म में शानदार मुख्य भूमिका निभाकर उन्होंने बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड जीता।
राजनैतिक करियर:
एमजी रामचंद्रन युवा अवस्था से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। वह वर्ष 1953 तक पार्टी के सदस्य बने रहे। एमजीआर महात्मा गांधी के सिद्धांतों के बड़े प्रशंसक थे और इसलिए वह खादी के ही वस्त्र पहना करते थे। वर्ष 1953 में एमजीआर ने एम करुणानिधि के अनुरोध पर द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम/डीएमके पार्टी ज्वाइन कर ली। एमजीआर की प्रसिद्धि को भुनाते हुए द्रविड़ आंदोलन में डीएमके मुख्य चेहरा बन गई। यह आंदोलन तमिलनाडू में 1950 के दशक के सबसे मुख्य राजनीतिक आंदोलनों में से एक था। वर्ष 1962 में एमजी रामचंद्रन तमिलनाडू राज्य विधान परिषद के सदस्य बने। वर्ष 1967 में उन्हें तमिलनाडू विधानसभा का सदस्य चुना गया। 12 जनवरी 1967 को एमजी रामचंद्रन को गोली लगी, जिसमें वह बाल-बाल बच गए। उनके साथी अभिनेता और राजनेता एम राधा ने उन्हें गर्दन के पास गोली मारी थी। उन्हें कई महीनों के लिए अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। लोगों को उनकी अपार लोकप्रियता का एहसास इसी दौरान हुआ| हजारों लोग अस्पताल के बाहर जमा रहकर उनके लिए वह घंटों प्रार्थना करते और उनके सुधार की प्रत्येक हलचल पर निगाह रखते। हालांकि वह बीमार थे, लेकिन एमजीआर ने आस नहीं छोड़ी और अस्पताल में भर्ती रहते हुए मद्रास विधानसभा चुनाव में प्रतिभाग किया। इस चुनाव में न सिर्फ वह जीते बल्कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी से दोगुने से अधिक मत प्राप्त किए। उन्हें विधानसभा के इतिहास में सबसे अधिक वोट मिले। वर्ष 1969 में अभिनेता और राजनेता अन्नादुरई की मृत्यु के बाद उन्हें डीएमके पार्टी में कोषाध्यक्ष बनाया गया। अन्नादुरई राजनीति के क्षेत्र में एमजीआर के गुरु भी थे। अन्नादुरई की मृत्यु के साथ ही डीएमके पार्टी में एमजीआर की मौजूदगी का अंत भी हो गया । अन्नादुरई की उपस्थिति में पार्टी के अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के पूर्व आरोप के बाद एमजीआर का डीएमके पार्टी प्रमुख एम करुणानिधि से झगड़ा हो गया। करुणानिधि पहले से ही अपने बेटे को पार्टी की कमान सौंपना चाहते थे और इस बहस ने एमजीआर को पार्टी से बाहर करने का उनका रास्ता आसान कर दिया। एमजी रामचंद्रन ने डीएमके को छोड़कर वर्ष 1972 में अपनी स्वयं की नई पार्टी अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र काज़गम यानी एआईडीएमके की स्थापना की। अपने गुरु से प्रेरित होकर एमजीआर ने अपनी नवगठित पार्टी के प्रचार के लिए तमिल फिल्मों का इस्तेमाल भी किया। एमजीआर की प्रसिद्धि ने तमिलनाडू के राजनीतिक जगत में पार्टी को उठाने और चमकाने में मदद की। एमजीआर राज्य का चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचने वाले वह पहले फिल्म अभिनेता बने। एमजीआर तमिलनाडू के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 30 जुलाई 1977 को विराजमान हुए, जो तीन कार्यकाल तक अपनी मृत्यु तक वर्ष 1987 तक मुख्यमंत्री रहे। एडीएमके को फिर एएआईडीएमके कहा गया, मतलब ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र काज़गम।
एक मानवतावादी शख्सियतः
एमजी रामचंद्रन ने हमेशा तमिलनाडू में गरीबों, जरूरतमंदों और वंचित लोगों की भलाई का काम किया। मुख्यमंत्री रहते हुए एमजीआर ने ‘‘पोषण मध्यान्ह भोजन योजना‘‘ शुरू की, जिसके तहत तमिलनाडू के सरकारी संस्थानों में आने वाले सभी बच्चों को लाभान्वित किया जाता था। उन्होंने कॉलीवुड में टेक्नीशियन का काम करने वाले लोगों के बच्चों के लिए प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल भी स्थापित किए। एमजीआर ने महिलाओं के हितों के लिए भी काम किया। उन्होंने तमिलनाडू में महिलाओं के लिए विशेष बस सेवा शुरू की और राज्य में मदर टेरेसा महिला विश्वविद्यालय तथा तमिलनाडू विश्वविद्यालय नामक दो शिक्षा संस्थान भी शुरू किए। एमजी रामचंद्रन बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों को आर्थिक और बुनियादी सुविधाएं देने के लिए हमेशा आगे रहते थे। थाई पत्रिका, द अन्ना समाचारपत्र और सथ्या व एमजीयर पिक्चर फिल्म स्टूडियो से प्राप्त होने वाली आय को वह जनकल्याण और दान पर खर्च करते थे। भारत-चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बाद बन युद्ध कोष में धनराशि दान करने वाले एमजीआर पहले भारतीय थे।
पुरस्कार और सम्मानः
वर्ष 1960 में एम जी रामचंद्रन को पद्म श्री पुरस्कार के लिए चुना गया, लेकिन उन्होंने यह पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया। वह पारंपरिक हिंदी के बजाए अपनी मातृ भाषा तमिल में बोलना चाहते थे। इस पर उनके और सरकार के बीच असहमति थी।
एमजीआर ने 1972 में फिल्म ‘‘ रिक्शाकरण‘‘ में अपनी भूमिका के लिए बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय और विश्व विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली।
तमिलनाडू समाज के बेहतरी में योगदान देने के लिए उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1988 में भारत रत्न से नवाजा गया।
निजी जीवनः
एमजी रामचंद्रन ने तीन बार शादी की। उनकी पहली दो पत्नियां समय से पहले ही चल बसीं और उनकी तीसरी पत्नी जानकी रामचंद्रन ने एमजीआर की मृत्यु के बाद एआईएडीएमके की बागडोर संभाली।
मृत्युः
एम जी रामचंद्रन किडनी की समस्या से पीडि़त थे। उन्हें अक्टूबर 1984 में किडनी फेल होने के कारण यूएस में ब्रूकलेन में डाउनस्टेट मेडिकल सेंटर में भर्ती किया गया। इसी वर्ष उन्हें किडनी प्रत्यारोपण कराना पड़ा। वर्ष 1987 में उन्होंने बीमारी से हार मान ली और 24 दिसंबर 1987 को एम जी रामचंद्रन की मृत्यु हो गई, जिसकी खबर फैलते ही तमिलनाडू में अशांति फैल गई। सरकार और पुलिस अधिकारियों के लिए जनता के बीच भड़के उन्माद और भावुक तमिलों को रोकना मुश्किल साबित हो रहा था, लोग एक दूसरे से झगड़ा करके बड़ी संख्या में लड़ मर गए। उनकी मृत्यु के बाद एआईएडीएमके दो धड़ों में बंट गई। एक धडे़ धड़े में उनकी पत्नी जानकी रामचंद्रन थी और दूसरी ओर जे जयललिता। उनका सथ्या फिल्म स्टूडियो अब एक महिला महाविद्यालय में तब्दील हो चुका है। मद्रास के टी नगर क्षेत्र में स्थित उनका घर वर्तमान में एक स्मारक घर है, जहां पर्यटक आते जाते हैं।
टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)
1917: एमजी रामचंद्रन का जन्म 17 जनवरी को हुआ।
1936: उन्होंने तमिल फिल्म उद्योग में कदम रखा।
1947: उनकी पहली हिट फिल्म ‘‘राजकुमारी‘‘ रिलीज हुई।
1953: डीएमके राजनीतिक पार्टी में शामिल हुए।
1956: पहली बार फिल्म निर्देशक बने।
1960: पदमश्री पुरस्कार लेने से इंकार किया।
1962: राज्य विधान परिषद के सदस्य बने।
1967: तमिलनाडू विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।
1967: एम राधा ने गर्दन में गोली मारी।
1969: डीएमके के कोषाध्यक्ष बने।
1972: अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी एडीएमके बनाई।
1972: ‘‘रिक्शाकरण‘‘ फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
1977: पहली बार तमिलनाडू के मुख्यमंत्री बने और इस सफलता को तीन बार दोहराया।
1984: किडनी फेल होने की समस्या से पीडि़त हुए किडनी प्रत्यारोपण कराना पड़ा।
1987: 24 दिसंबर को मृत्यु हो गई।
1988: मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार दिया गया।