जन्म: 10 अप्रैल 1941, लाहौर, अखंड भारत
कार्य क्षेत्र: राजनेता, पूर्व राजनयिक, पूर्व केन्द्रीय मंत्री
मणि शंकर अय्यर एक भूतपूर्व भारतीय राजनयिक और सक्रीय राजनेता हैं। राजनीति में आने से पहले वे 26 साल तक भारतीय विदेश सेवा में कार्यरत रहे जिसमें से अंतिम पांच (1985-1989) राजीव गांधी के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्य किया। राजनीति में एक नया कॅरिअर शुरू करने के लिए उन्होंने सन 1989 में विदेश सेवा से इस्तीफा दे दिया और 1991,1999 और 2004 में मायिलादुतुरई संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद चुने गए। इसके साथ-साथ 1996, 1998 और 2009 में उन्हें लोक सभा चुनाव में हार का मुह भी देखना पड़ा। अपने प्रशासकीय कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश के सर्वप्रथम महावाणिज्यदूत के रूप में कराची में कार्यभार संभाला। उन्होंने ब्रसल्स, हनोई और बगदाद में राजनायिक शिष्टमंडल में हिस्सा लिया। दुनिया के सबसे बड़े लोकत्रंत्र की कूटनीति और राजनीति में उनके योगदान को देखते हुए उनकी मातृ संस्था केम्ब्रिज ने उन्हें मानद उपाधि से सम्मानित किया। एक राजनेता के तौर पर वे केंद्र सरकार में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम मंत्रालय में केबिनेट मंत्री और मनमोहन सिंह की सरकार में पंचायती राज मंत्री भी रह चुके हैं।
प्रारंभिक जीवन
मणि शंकर अय्यर का जन्म अखंड भारत के लाहौर में 10 अप्रैल 1941 को चार्टर्ड एकाउंटेंट वी. शंकर अय्यर और भाग्यलक्ष्मी के घर हुआ था। उनके छोटे भाई स्वामीनाथन अय्यर एक पत्रकार हैं। जब मणि शंकर अय्यर 12 साल के थे तब एक विमान दुर्घटना में उनके पिता का निधन हो गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट वेल्ह्म बॉयज़ स्कूल, दून स्कूल, देहरादून, और सेंट स्टीफन्स कॉलेज, दिल्ली, से प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र विषय में दो साल का ट्राइपोज़ किया। उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ़ माईन्स से D. Sc (Honoris Causa) की उपाधि भी हासिल की है। कैम्ब्रिज में वह मार्क्सवादी समाज के सक्रिय सदस्य थे। सन 1963 में वे भारतीय विदेश सेवा में नियुक्त हुए और भारत सरकार में संयुक्त सचिव के तौर पर कार्य किया।
विदेश सेवा में करियर
मणि शंकर अय्यर ने 26 साल तक भारतीय विदेश सेवा में कार्य किया जिसमें से अंतिम पांच वर्ष वे राजीव गांधी के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर रहे। आधारभूत स्तर पर लोकतंत्र, भारतीय विदेश नीति विशेष रूप से भारत के पड़ोसी देशों और पश्चिम एशिया के साथ और परमाणु निरस्त्रीकरण में उनकी विशेष रुचि रही है। उन्होंने ब्रसेल्स, हनोई और बगदाद में भारतीय राजनायिक शिष्टमंडल में भी हिस्सा लिया। सन 1970 से 1971 के दौरान उन्होंने उद्योग और आतंरिक व्यापार मंत्रालय में निजी सचिव के पद पर कार्य किया। 1978 से 1982 तक वह कराची में भारत के पहले महावाणिज्यदूत बनाये गए। सन 1982 से 1983 तक उन्होंने विदेश मंत्रालय में बतौर संयुक्त सचिव कार्य किया और 1983 से 1984 तक वह सूचना व प्रसारण मंत्री के सलाहकार रहे।
राजनैतिक जीवन
सन 1989 में उन्होंने अपने पदभार से इस्तीफ़ा दिया और राजीनीति एवं संचार माध्यम से जुड़ गए। सन 1991 में उन्होंने १०वीं लोक सभा में मायिलादुतुरई निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता और सन 1992 में वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (AICC) के सदस्य बने। सन 1998 में वे AICC के सचिव नियुक्त किये गए और 1999 में उन्होंने 13वी लोक सभा चुनाव में मायिलादुतुरई निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता। सन 2004 में उन्होंने फिर उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता। इसके पश्यात वह प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री और पंचायती राज मंत्री भी बने। उन्होंने युवा कल्याण मंत्री और खेलमंत्री का पद भी संभाला।
सन 19996, 1998 और 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वे कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी समिति में विशेष अतिथि हैं। वे कांग्रेस पार्टी के राजनैतिक प्रशिक्षण विभाग, नीति आयोजन और समन्वय समिति के अध्यक्ष भी हैं। मणि शंकर अय्यर धर्मनिरपेक्ष समाज के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष हैं। राजनितीक समीक्षक होने के साथ-साथ उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। वह राजीव गाँधी प्रतिष्ठान के अभिभावक भी हैं। वह संसदीय कार्य और प्रशिक्षण संस्थान के मानद सलाहकार है। वह इंडिया चैप्टर ऑफ़ साउथ इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष होने के साथ-साथ आण्विक परमाणु प्रसार निरोध और परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए संसदीय तंत्र के भूतपूर्व छात्र सदस्य भी रह चुके हैं।