जन्म: 10 जुलाई 1940, बड़ौदा, गुजरात
कार्यक्षेत्र: अर्थशाष्त्री, राजनितिग्य
शिक्षण संस्थान: रामनारायण रुइया कॉलेज, मुंबई विश्वविद्यालय, पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय
मेघनाद जगदीशचंद्र देसाई (बैरन देसाई) भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशाष्त्री और लेबर पार्टी के राजनितिग्य हैं। सन 2011 में उन्होंने ब्रिटिश संसद के ‘हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स’ के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा था पर सफल नहीं हो पाए। ऐसा करने वाले वे ब्रिटेन के बाहर पैदा होने वाले पहले व्यक्ति हैं। अर्थशाष्त्र के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने सन 2008 में उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।
प्रारंभिक जीवन
मेघनाद जगदीशचंद्र देसाई का जन्म 10 जुलाई 1940 को गुजरात के बड़ौदा शहर में हुआ था। मेघनाद अपने दो भाईयों और एक बहन के साथ पले-बढ़े। सात साल की उम्र में वे सेकेंडरी स्कूल जाने लगे थे और 14 साल में मैट्रिकुलेशन पास किया था। इसके पश्चात उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। उनके माता-पिता उन्हें आई.ए.एस. अधिकारी बनाना चाहते थे पर इस समय तक उनकी उम्र उस परीक्षा के लिए छोटी थी इसलिए बात आगे नहीं बढ़ पायी। इसके बाद उन्हें सन 1960 में उन्हें ‘पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय’ में आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति मिली। उन्होंने सन 1963 में पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय से अपना पी.एच.डी. (शोध) पूरा किया।
शैक्षिक करियर
पढ़ाई के बाद उन्होंने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के ‘कृषि अर्थशाष्त्र’ विभाग में सह-विशेषज्ञ के तौर पर कार्य किया। इसके पश्चात वे लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रवक्ता के तौर पर नियुक्त हो गए। वहां उन्होंने इकोनोमेट्रिक्स, मैक्रोइकोनॉमिक्स, मार्क्सवादी अर्थशाष्त्र और डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स जैसे विषय पढ़ाये।
सन 1973 में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक ‘मार्क्सियन इकनोमिक थ्योरी’ लिखी और सन 1976 में ‘एप्लाइड इकोनोमेट्रिक्स’ लिखी। सन 1979 में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक ‘मार्क्सियन इकनोमिक थ्योरी’ का संसोधित संस्करण ‘मार्क्सियन इकोनॉमिक्स’ के नाम से प्रकाशित किया। सन 1981 में उन्होंने ‘टेस्टिंग मोनेटरिज्म’ लिखा।
लार्ड मेघनाद देसाई ने 200 से अधिक लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखा है। सन 1985-94 के मध्य वे ब्रिटिश साप्ताहिक ‘ट्रिब्यून’ में नियमित तौर पर एक कॉलम लिखते रहे। सन 1995 और 2000 के मध्य उन्होंने मशहूर भारतीय पत्र जैसे ‘बिज़नस स्टैण्डर्ड’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘फाइनेंसियल एक्सप्रेस’ के लिए भी कॉलम लिखे। सन 1984-91 के मध्य वे ‘जर्नल ऑफ़ एप्लाइड इकोनोमेट्रिक्स’ के सह-संपादक भी रहे। सन 1995 में उनके कुछ चुनिन्दा शैक्षिक पत्रों को ‘द सिलेक्टेड एसेज ऑफ़ मेघनाद देसाई’ नामक शीर्षक से दो भागों में छापा गया।
मेघनाद देसाई ब्रिटिश लेबर पार्टी के सक्रीय सदस्य हैं। उन्हें सन 1986 और 1992 के मध्य पार्टी का अध्यक्ष भी बनाया गया। सन 1991 में उन्हें वेस्टमिन्स्टर के ‘सेंट क्लेमेंट डेंस’ का ‘लाइफ पियर’ बनाया गया।
सन 2002 में उन्होंने अपनी पुस्तक ‘मार्क्स रिवेंज: द रेसुर्गेंस ऑफ़ कैपिटलिज्म एंड द डेथ ऑफ़ स्टेटिस्ट सोशलिज्म’। इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने यह कहा है की वैश्वीकरण धीरे-धीरे समाजवाद को स्थापित करेगा।
सन 2004 में उन्होंने मशहूर भारतीय फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार की जीवनी प्रकाशित की। इसका शीर्षक था ‘नेहरुज हीरो: दिलीप कुमार इन द लाइफ ऑफ़ इंडिया’। इस पुस्तक को मेघनाद देसाई ने अपनी ‘सबसे बड़ी उपलब्धि’ बताया। इस पुस्तक के माध्यम से दिलीप कुमार की फिल्मों की समीक्षा करते हुए उन्होंने भारत के सामाजिक-राजनितिक परिवेश और उनकी फिल्मों में इसके प्रतिबिम्ब में समानता दर्शाने की कोशिश की है। उन्होंने फिल्मों और समाज के कई अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे सेंसरशिप, मर्दानगी, सांस्कृतिक अस्मिता और धर्मनिरपेक्षता आदि के बारे में भी इस पुस्तक में लिखा है। उन्होंने इस पुस्तक में यह भी लिखा है कि किस तरह फिल्मों ने बदलते हुए भारत को दिखाया।
सन 2003 में वे ‘सेण्टर फॉर द स्टडी ऑफ़ ग्लोबल गवर्नेंस’ के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हो गए। सन 1992 में उन्होंने ही इस संस्थान की स्थापना ‘लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ में की थी। लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं – ‘रिथिन्किंग इस्लामिस्म: आइडियोलॉजी ऑफ़ द न्यू टेरर’ (2006), ‘द रूट तो आल ईविल: द पोलिटिकल इकॉनमी ऑफ़ एज्रा पौंड’ (2007), ‘डेड ऑन टाइम’ (एक उपन्यास – 2009) और ‘द रीडिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ (2009)।
सैफ अल-गद्दाफी थीसिस विवाद
सन 2007 में लन्दन विश्वविद्यालय ने मेघनाद देसाई को टोनी मैकग्रीव के साथ मिलकर लीबिया के नेता गद्दाफी के पुत्र सैफ अल-गद्दाफी के थीसिस की जांच करने के लिए कहा। इन दोनों ने थीसिस को स्वीकार नहीं किया क्योंकि उन्हें वो ठीक नहीं लगी। उन्होंने लगभग ढाई घंटे तक सैफ की मौखिक परीक्षा ली और उसे थीसिस को बदलकर दोबारा प्रस्तुत करने के लिए कहा।
जब उन्हें प्रेस से लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स को दिए गए सैफ के अनुदान के बारे में पता चला तो उन्होंने इस धन तो तत्काल तौर पर लीबिया को वापस करने के लिया कहा।
व्यक्तिगत जीवन
सन 1970 में मेघनाद देसाई ने लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के सहकर्मी गेल विल्सन के साथ विवाह किया। गेल ब्रिटिश सिविल इंजिनियर जॉर्ज एंबलर विल्सन की पुत्री थीं। इस विवाह से देसाई दंपत्ति को तीन संतानें हुईं। बाद में दोनों का तलाक हो गया।
‘नेहरुज हीरो: दिलीप कुमार इन द लाइफ ऑफ़ इंडिया’ के लेखन के दौरान उनकी मुलाकात किश्वर अल्हुवालिया (अब किश्वर देसाई) से हुई जो इस पुस्तक की संपादक थीं। 20 जुलाई 2004 को दोनों ने लन्दन के रजिस्ट्रार कार्यालय में विवाह कर लिया।
मेघनाद नास्तिक हैं और ‘नेशनल सेक्युलर सोसाइटी’ के मानद सदस्य हैं।
टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)
1940: गुजरात के बड़ौदा में जन्म हुआ
1960: पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति मिली
1963: पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय से पी.एच.डी पूरा किया
1965: लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रवक्ता नियुक्त हुए
1970: उन्होंने गेल विल्सन से विवाह किया
1973: उनकी पहली पुस्तक ‘मार्क्सियन इकनोमिक थ्योरी’ प्रकाशित हुई
1985: ब्रिटिश साप्ताहिकी ‘ट्रिब्यून’ के लिए लिखना प्रारंभ किया
1991: उन्हें सेंट क्लीमेंट डेंस का ‘बैरन देसाई’ चुना गया
1995: उनके कुछ चुनिन्दा शैक्षिक पत्रों को ‘द सिलेक्टेड एसेज ऑफ़ मेघनाद देसाई’ नामक शीर्षक से दो भागों में छापा गया
2002: उनकी पुस्तक ‘मार्क्स रिवेंज: द रेसुर्गेंस ऑफ़ कैपिटलिज्म एंड द डेथ ऑफ़ स्टेटिस्ट सोशलिज्म’ प्रकाशित हुई
2003: सन 2003 में वे ‘सेण्टर फॉर द स्टडी ऑफ़ ग्लोबल गवर्नेंस’ के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हो गए
2004: मेघनाद देसाई ने 20 जुलाई 2004 को किश्वर देसाई से लन्दन के रजिस्ट्रार कार्यालय में विवाह किया