जन्म: 1957
व्यवसाय/पद/कार्य: एचएसबीसी की भारत प्रमुख
नैना लाल किदवई एक वरिष्ठ भारतीय बैंक कर्मी हैं। वर्तमान में वह हांगकांग एंड शांघाई (एच एस बी सी) बैंक की भारतीय शाखा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। प्रसिद्ध उद्योग पत्रिका ‘फोर्ब्स’ उन्हें 2000 से 2003 तक दुनिया की शीर्ष 50 कॉरपोरेट महिलाओं में शामिल कर चुकी है। फार्च्यून की ‘ग्लोबल लिस्ट ऑफ टॉप वुमेन’ में भी वह शामिल रह चुकी हैं। इसके अलावा ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ इन्हें 2006 में ग्लोबल वुमेन लिस्ट में शामिल कर चुका है और भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। नैना हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। नैना के बचपन का एक दिलचस्प वाकया इस प्रकार है। बचपन में एक दिन एक प्रसिद्ध बीमा कंपनी में बतौर सीईओ कार्यरत अपने पिता की कुर्सी पर बैठीं नैना के दिमाग में भी किसी कंपनी का प्रमुख बनने की इच्छा जगी| इसी धुन का नतीजा है कि आज वे बैंकिंग क्षेत्र की अग्रणी कंपनी ‘एचएसबीसी’ (हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कोरपोरेशन लिमिटेड) की भारत प्रमुख और डायरेक्टर हैं.
प्रारंभिक जीवन
नैना का जन्म वर्ष 1957 में भारत में हुआ। उनकी प्रारंभिक स्कूल की शिक्षा शिमला शहर में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त किया और एम.बी.ए. करने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल गईं। हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वह भारत में किसी विदेशी बैंक का मार्गदर्शन करने वाली प्रथम महिला हैं। वह एक अर्हताप्राप्त ‘चार्टर्ड अकाउंटेंट’ भी हैं। नैना सी ए जी (कैग) के ऑडिट एडवाइजरी बोर्ड में भी रह चुकी हैं।
कैरियर
वर्ष 1982 से लेकर 1994 तक उन्होंने ‘एएनज़ेड ग्रिंडलेज’ में कार्य किया जहाँ नैना ने ‘इन्वेस्टमेंट बैंक’, ‘ग्लोबल एन आर ऑय सर्विसेज’ और ‘रिटेल बैंकिंग’ (पश्चिमी भारत) के प्रमुख के तौर पर कार्य किया। 1994 से लेकर 2002 तक उन्होंने ‘मोर्गन स्टेनले’ और ‘जे एम मोर्गन स्टेनले’ में ‘इन्वेस्टमेंट बैंकिंग’ के प्रमुख के तौर पर कार्य किया| वर्ष 1982 से लेकर 1994 तक उन्होंने स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक में भी कार्य किया और 1984 से 1991 तक ‘रिटेल बैंकिंग’ में मुख्य प्रबंधक रहीं। वर्ष 1989 से 1991 तक नैना ने ‘इन्वेस्टमेंट बैंक इंडिया’ में मुख्य प्रबंधक और प्रमुख के तौर पर कार्य किया। सन 1987 से 1989 तक वो ‘इन्वेस्टमेंट बैंक’ के उत्तर भारत का प्रबंधक रहीं। उन्होंने ‘प्राइस वाटरहॉउस कूपर्स’ में भी 1977 से 1980 तक कार्य किया। इस प्रकार धीरे-धीरे नैना सफलता का पायदान चढ़ती रहीं।
इसके बाद वो एचएसबीसी से जुडीं और इनवैस्टमेंट बैंक को ऊपर उठाया। अपने मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर नैना एचएसबीसी बैंक में एक के बाद एक नए मुकाम हासिल करती रहीं| ‘न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज’ पर प्रसिद्ध भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी ‘विप्रो’ की लिस्टिंग में भी उनका अहम योगदान रहा। उन्होंने भारत के दो प्रसिद्ध औद्योगिक घरानों ‘टाटा’ और ‘बिरला’ के मध्य समझौता कराकर संपूर्ण भारत में मोबाइल फ़ोन सेवा के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
निजी जीवन
नैना किदवई के पिता एक बीमा कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे और उनकी माँ उद्योगपति ललित मोहन थापर की बहन थीं। उनके पति राशिद किदवई हैं जो ‘ग्रासरूट ट्रेडिंग नेटवर्क फॉर वीमेन’ नामक एक NGO चलाते हैं। वे दो बच्चों की माँ हैं और संयुक्त परिवार में रहती हैं। नैना को भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत का बहुत शौक है। उन्हें ट्रेकिंग का भी शौक है और हिमालय में ट्रेकिंग पर जाना पसंद है। वो एक प्रकृति प्रेमी भी हैं और वन्य जीवन के अवलोकन में गहरी रुचि रखती हैं। अपने करियर के बारे में उनका कहना है, “मुझे अपने आप पर हमेशा विश्वास रहा है। फलस्वरूप मैं अपने उद्देश्य में हमेशा कामयाब रही हूँ। आप को अपने सपने के साथ अपने उद्देश्य को जोड़ देना चाहिए और परिणाम के बारे चिंता नहीं करनी चाहिए। यही वजह है की मैं अपने क्षेत्र में कामयाब रही।”
सम्मान और पुरस्कार
देश के आर्थिक परिदृश्य और अर्थव्यवस्था में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए नैना को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
- प्रसिद्ध पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने उन्हें 2000 से 2003 तक दुनिया की शीर्ष 50 कॉरपोरेट महिलाओं में शामिल किया।
- फार्च्यून ने ‘ग्लोबल लिस्ट ऑफ टॉप वुमेन’ में शामिल किया।
- फोर्च्यून’ पत्रिका ने उन्हें एशिया की तीसरी बिजनेस विमन का खिताब दिया।
- ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने इन्हें 2006 में ग्लोबल वुमेन लिस्ट में शामिल किया किया।
- वर्ष 2007 भारत सरकार उन्हें पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है।
- वर्ष 2012 में उन्हें फिक्की (फैडरेशन औफ इंडियन चैंबर्स औफ कौमर्स ऐंड इंडस्ट्री) का अध्यक्ष चुना गया।