जन्म: 9 जून 1899, मुल्की, कर्नाटक
कार्य/व्यवसाय/पद: सिंडीकेट बैंक के संस्थापक निदेशक
वामन श्रीनिवास कुडवा जिन्हें वी.एस. कुडवा भी कहा जाता था, सिंडीकेट बैंक के संस्थापक निदेशक थे। कुडवा केनरा औद्योगिक और बैंकिंग सिंडीकेट लिमिटेड के रूप में शुरू हुए सिंडिकेट बैंक के संस्थापक निदेशकों में से एक थे। उन्होंने 8000 रूपए की पूँजी और कुछ अन्य संस्थापकों उपेन्द्र अनंत पई और टीएमए के साथ यह बैंक शुरू किया था। वर्ष 1964 में इसका नाम बदलकर सिंडिकेट बैंक हो गया और बैंक ने अपने व्यापार को भारत के अन्य हिस्सों में फ़ैलाने के साथ-साथ विदेशों में भी विस्तार किया। इस बैंक के स्थापना के अलावा, वामन श्रीनिवास कुडवा अन्य सामाजिक सेवा के कार्यों से भी जुड़े थे। मंगलौर और दक्षिण कन्नड़ क्षेत्र में उन्हें ‘कर्मयोगी’ के नाम से भी जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन
कुडवा कर्णाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के मुल्की में एक रूढ़िवादी और पारंपरिक गौड़ा सारस्वत ब्राह्मण परिवार में सन 1899 में पैदा हुए थे। उनका पालन-पोषण बहुत ही सामान्य माहौल में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुल्की और हाई स्कूल उडुपी से ग्रहण किया। उनके पिता श्रीनिवास रामचंद्र कुडवा एक छोटी सी हथकरघा इकाई चलाते थे। वर्ष 1908 में जब परिवार उडुपी चला गया तब श्रीनिवास रामचंद्र कुडवा हार्डवेयर की एक दुकान खोल ली। उन्होनें स्कूल में होने वाली बहस प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें अंग्रेजी और कन्नड दोनों भाषाओँ का अच्छा ज्ञान था। कुडवा ने 1918 में, गवर्नमेंट कॉलेज मंगलौर से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद विक्टोरिया जुबली तकनीकी संस्थान (वी जे टी आई) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के लिए मुंबई चले गए। लगातार तीन साल क्लास टॉपर होने के बावजूद वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन में कूद गए और अपनी पढ़ाई छोड़ दी।
उद्योगपति के रूप में
सन 1922 और 1926 के बीच कुडवा ने उडुपी में एक इंजीनियरिंग कार्यशाला प्रारंभी की और उसके बाद 1926 में मंगलौर चले गए। केनरा पब्लिक कन्वेयांस कंपनी लिमिटेड (सीपीसी कंपनी लिमिटेड) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक वी.एस. कामथ के आमंत्रण पर वे कर्मशाला प्रबंधक के रूप में कंपनी में शामिल हो गए। 1932 में कामथ के मृत्यु के बाद वे कंपनी के जनरल मैनेजर बन गए। वर्ष 1938 में उन्हें प्रबंध निदेशक के रूप में चयनित किया गया और वे इस पद पर 1966 तक बने रहे। उनके कार्यकाल के दौरान कंपनी ने सफलता की नयी उंचाईयों को छुआ और राजस्व में भी भारी बढ़ोतरी हुई और देश भर में नाम और शोहरत कमाया। इस अवधि के दौरान कुडवा को ये एहसास हुआ की रोजगार पैदा करने के लिए और अधिक उद्योगों की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से उन्होंने ‘द केनरा सेल्स कारपोरेशन लिमिटेड’ और ‘द केनरा मोटर एंड जनरल इन्शुरन्स कंपनी लिमिटेड (1941) की स्थापना किया। इतना ही नहीं, वर्ष 1943 में उन्होंने ‘द केनरा वर्कशॉप लिमिटेड’ की स्थापना की। यहाँ पर उन्होंने ऑटोमोबाइल लीफ स्प्रिंग्स बनाना प्रारंभ किया। इन लीफ स्प्रिंग्स को उन्होंने केनरा लीफ स्प्रिंग्स के नाम से बेचना शुरू किया। उत्तर भारत में बढ़ते हुए मांग को देखते हुए उन्होंने नागपुर मैं एक नया संयन्त्र लगाया परन्तु इसे 1960 के दशक में बंद करना पड़ा। उसके बाद लीफ स्प्रिंग्स को बनाने के लिए विदेशों से कच्चा माल मंगाया गया। कुडवा ने वांछित इस्पात का निर्माण करने के लिए एक मिनी स्टील प्लांट शुरू करने के बारे में भी सोचा। इसके परिणामस्वरूप एक मिनी स्टील प्लांट का गठन किया। इसके बाद वर्ष 1947 में कुडवा ने ‘द केनरा टायर एंड रबर वर्क्स लिमिटेड’ की स्थापना की।
पत्रकार के रूप में
अपने छात्र जीवन से ही कुडवा पत्रकारिता को लेकर बहुत उत्सुक रहते थे। उन्होंने 1922 में कन्नड़ साप्ताहिक “सत्याग्रही” का संपादन प्रारंभ किया। वर्ष 1923 में उन्होंने कन्नड़ साप्ताहिक ‘स्वदेसाभिमानी’ में एक संपादक की नौकरी कर ली और 1924 तक इस कार्य में लगे रहे। विभिन्न उद्योग-धंधों के अलावा कुडवा ने वर्ष 1941 में ‘द न्यूज़पेपर पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना की जिसने कन्नड़ समाचार पत्र ‘नवभारत’ का प्रकाशन प्रारंभ किया। इस पत्र के संपादक के रूप में उन्होंने कन्नड़ पत्रकारिता जगत में बहुत सम्मान अर्जित किया।
सामाजिक नेता के रूप में
कुडवा ने टीएमए पई और उपेन्द्र अनंत पई के साथ मिलकर केनरा औद्योगिक और बैंकिंग सिंडीकेट लिमिटेड (अब सिंडिकेट बैंक) की स्थापना वर्ष 1925 में मंगलौर में की। भारत के सबसे पुराने और प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों में से एक माने जाने वाले इस बैंक का राष्ट्रीयकरण भारत सरकार ने 19 जुलाई 1969 को कर दिया। कुडवा को वर्ष 1948 में केनरा चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का अध्यक्ष चुना गया। वे अगले 3 साल तक इस पद पर बने रहे। मैंगलोर में बंदरगाह और हवाई अड्डा बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। वर्ष 1955 में उन्होंने ‘केनरा फाउंडेशन’ की शुरुआत की जिसका उद्देश्य छात्रों को विदेशों में उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए ऋण उपलब्ध कराना था। वर्ष 1960 में यू श्रीनिवास माल्या के साथ मिलकर उन्होंने ‘कर्नाटक रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज’ की स्थापना की जो अब नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) सुरतकल के नाम से प्रसिद्द है।
रोटरी क्लब
मैंगलोर में पहला रोटरी क्लब शुरू करने का श्रेय भी कुडवा को ही जाता है। वह इसके चार्टर अध्यक्ष थे। इसके अलावा वो कई और कंपनियों और सामाजिक संगठनों के भी अध्यक्ष रहे। एसके डेवलपमेंट एंड वेलफेयर बोर्ड, स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और एसके विलेज इंडस्ट्रीज एसोसिएशन इनमे प्रमुख थे।
अपने जीवनकाल में कुडवा ने देश-विदेश में ढेर सारी यात्रायें की। उन्होनें मध्य पूर्व, यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान की यात्रा की।
व्यक्तिगत जीवन
कुडवा का विवाह वी.एस. कामथ की बेटी शांता से वर्ष 1928 में हुआ। उनके पांच पुत्र और एक पुत्री थी। वामन श्रीनिवास कुडवा 68 साल की उम्र में 30 जून 1967 को परलोक सिधार गए।
टाइमलाइन (जीवन घटनाक्रम)
1899: कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के मुल्की में 9 जून को पैदा हुए
1918: गवर्नमेंट कॉलेज, मंगलौर से स्कूली शिक्षा पूरी की
1918: विक्टोरिया जुबली तकनीकी संस्थान (वी जे टी आई), बॉम्बे में दाखिला लिया
1921: अध्ययन छोड़कर असहयोग आंदोलन में कूद गए
1922: कन्नड़ साप्ताहिक “सत्याग्रही” का संपादन प्रारंभ किया
1923: कन्नड़ साप्ताहिक “स्वदेसाभिमानी” में संपादक
1925: केनरा औद्योगिक और बैंकिंग सिंडीकेट लिमिटेड की स्थापना
1926: मंगलौर के पास गया और सीपीसी कंपनी लिमिटेड में शामिल हुए
1928: शांता से विवाहित
1932: सीपीसी कंपनी लिमिटेड के महाप्रबंधक बने
1938-1966: सीपीसी कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रहे
1938: केनरा सेल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड का गठन किया गया
1941: न्यूजपेपर्स पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की
1941: केनरा मोटर और जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड शुरू किया
1943: केनरा वोर्क्शोप्स लिमिटेड स्थापित
1947: केनरा टायर एंड रबर वर्क्स लिमिटेड
1948: केनरा चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित
1950: केनरा स्प्रिंग्स के तहत ऑटोमोबाइल पत्ती स्प्रिंग्स का निर्माण शुरू किया
1955: केनरा फाउंडेशन की स्थापना
1960:सूरतकल में कर्नाटक रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित
1964: केनरा औद्योगिक और बैंकिंग सिंडीकेट लिमिटेड सिंडिकेट बैंक में बदल गया
1967: मैंगलोर में 30 जून को निधन हो गया